किसी से सहमत होना आपके हाथ है, तो किसी का आपसे सहमत होना उसके हाथ। असहमति के पीछे के मतभेद को समझें और स्वीकार करें।
सिक्के के दो पहलू से अधिक भिन्न नहीं है किसी व्यक्ति का दृष्टिकोण। कीचड़ में गिरा सिक्का जैसे आप धो कर स्वीकार कर लेते हैं। वैसे ही व्यक्ति के अवगुणों को साफ कर उसे उसके गुणों के साथ स्वीकार करें।
जब आप किसी के अवगुण उजागर करते है और गुणों पर पर्दा डालते है तो मतभेद मनमुटाव बन मनभेद होने लगता है। इसलिए अपने या अपनों के अवगुणों को यदि सुधारने में असमर्थ हो तो प्रचारित प्रसारित न करें।
आप जिस चीज का प्रसार प्रचार करेंगे वो ही फैलेगा इसलिए खुशबू फैलाएं न कि दुर्गंद। बिना खाद की दुर्गंद पाए, न खुशबू देने वाले फूल मिल सकते हैं, न आनंद देने वाले फल और न ही आपको सफल करने वाले आपके अपने।
आवश्यता है तो सिर्फ दुर्गंद को फैलने से रोकने की और उसका इलाज करने की यदि नहीं किया तो परिणाम घातक हो सकते हैं। फल फूल और आपके अपने अस्तित्व खो सकते हैं।
आपको व्यक्ति, फल और फूल को उसकी विशेषताओं के आधार पर प्रसारित प्रचारित करना है, न के उन्हें पाने और बनाए रखने में आई कठिनाई और राह के कांटे।
ये आवश्यक नहीं कि आपको सभी स्वाद, गन्द और स्वभाव पसन्द आएँ।
मतभेद प्रकृति का हिस्सा है, इसे मनमुटाव और मनभेद न बनाएं।
हर्ष शेखावत
