यदि किसी को आसानी से आप बदल सकते हैं तो वो, स्वयं आप हैं। जो सुधार आप दूसरों में चाहते हैं, सर्वप्रथम अपनेआप में करें।
सबसे पहले अपनी बोलचाल की भाषा से कटुशब्द त्याग दें और विनम्बर बनें। प्रतिदिन अच्छा साहित्य पढ़ने की आदत डालें, जो भी विषय आपको रुचिकर है।
परिवार में अपने बड़े या छोटों से उग्र न हों, वे आपसे इसकी अपेक्षा नहीं करते। अपने आसपास लोगों को समझें और उनके दृष्टिकोण का सम्मान करें, एकमत होना जरूरी नहीं।
कुछ वक्त प्रतिदिन प्रकृति के साथ बिताएं, और स्वयं की प्रकर्ति में समाविष्ट करें। पशु पक्षियों को दाना पानी देना दिनचर्या का हिस्सा बनाएं, सुकून मिलेगा और पारितोषिक ईश्वर से पायेंगे।
अभिमान त्याग सीखने के लिये तत्पर रहें, स्वाभिमान को आहत किए बगैर। प्रश्न पूछने में संकोच न करें, प्रश्न करने वाला जवाब न मिलने तक अज्ञानी है, मगर संकोच करने वाला ताजिन्दगी।
जो कुछ भी करे, 100% सहभागिता के साथ। सकारात्मक लोगो का साथ लें, नकारात्मक परिवेश से बचें। तुलना दूसरों की बजाए अपने कल की अपने आज से करें। स्वयं को बेहतर बनाएँ।
सफलता के लिए निरन्तर प्रयास करें, जीवन की सब से बड़ी असफलता है प्रयास न करना। रूपरेखा बना प्रयास करने से सफलता आसान हो जाती है।
आभाव का रोना छोड़ अच्छी मानसिक और शारिरिक सेहत पर काम करें, उम्मीद न छोड़ें, उम्मीद पर दुनियाँ कायम है।
स्वस्थ तन मन बुद्धि के लिए ताजा फल और सब्जियों(सलाद) को आहार का हिस्सा बनाएँ और शरीर में पानी की कमी न होने दें।
स्वस्थ रहें, स्वास्थ्य से उम्मीद और उम्मीद से जीवन है। जीवन को सरल बनाएँ।
हर्ष शेखावत
