“वक्त से न खेलें, वक्त बड़ा अनमोल है”

वक्त बड़ा बलवान है। बीता वक्त अनुभव देता है पर न लौट कर आता है, न छेड़छाड़ का अधिकार देता है। वर्तमान की नींव होता है।

वर्तमान ही है जिससे आप अपने सपनों के महल की कल्पना और निर्माण कर सकते हैं।

भविष्य वर्तमान की नींव पर आधारित होगा, कल्पना करें सपने संजोएं और तैयारी करें, पर व्यर्थ भविष्य की चिंता और भय धारण न धरें।

ये वर्तमान ही है जिसमें आप कुछ कर सकते हैं। भूल भी और भूल सुधार भी इस लिए गलती करने से न डरें, चिन्तन करें चिन्ता न करें और दीर्घसूत्री (अनिवार्य वक्त से अधिक वक्त लगाना) न बनें।

आपकी सोच मायने रखती है, पर उससे कहीं ज्यादा ये मायने रखता है कि आप जो सोचते हैं और करना चाहते हैं उसे वक्त पर (यानी समय रहते) करते हैं।

भविष्य आपको वर्तमान बन अनुभव आधारित सुधार का मौका अवश्य देगा। भविष्य के भय को वर्तमान खराब न करने दें सत्प्रतिषत सही या गलत कोई नहीं होता।

कुछ करेंगे तो अच्छा या बुरा होगा, सिर्फ अच्छा और बहुत अच्छा करने की चिन्ता ग्रसित हो यदि वक्त पे/वक्त रहते कुछ नहीं किया तो न करने का सिर्फ खेद रह जाएगा, वक्त वर्तमान से बीता वक्त हो जाएगा।

आप अपने वक्त के साथ किसी अन्य का वक्त खराब करें ये अधिकार आपको नहीं। इसलिए वक्त सिर्फ बलवान ही नहीं अनमोल है, इसकी कद्र करें ये आपकी करेगा।

हर्ष शेखावत

“प्रेरित करें”

प्रेरित करना, मतलब कुछ करने के लिए हाँ कहलवाना और करवाने की प्रेरणा बनना। किसी का हाँ कहना कोई कल्पना या सिर्फ किस्मत की बात नहीं।

किसी की प्रेरणा बन आप हाँ कहलवाना चाहते हैं, तो सबसे पहले उसे हाँ कहने का कारण दें। कोई भी कार्य बिना कारण नहीं होता।

इसमें ध्यान रखने वाली बात ये है कि जो कारण आप बता रहे हो वह उसके मतलब का हो और उसमें उसके फायदे की बात की जाए, अपने फायदे का जिक्र अत्यन्त आवश्यक हो तभी करें।

प्रेरित करने के लिए सबसे अहम है सकारात्मकता। व्यक्ति को सकारात्मक बनाने के लिए उससे ऐसे प्रश्न करें जिनका जवाब सिर्फ और सिर्फ हाँ हो।

जैसे, आप जीवन में शान्ति चाहते हैं ना? आप अपने परिवार को खुश देखना चाहते हैं ना? आप अपने बच्चों को अच्छे संस्कार देना चाहते हैं ना? अपनी ख्वाइशों को पूरा करना चाहते हैं ना?

जब व्यक्ति बार बार प्रश्नों के उत्तर हाँ में देता है, तो उसेके लिए हाँ कहने और प्रेरित होने की संभावना बढ़ जाती है।

हाँ के साँचे में ढल चुके व्यक्ति को अब प्रश्न करें तो ध्यान रखें कि विकल्प सिर्फ दो हाँ में से कोई एक हाँ चुनने का हो, हाँ और ना में से एक चुनने का नहीं।

जैसे, आप ये काम/मुलाकात कल करना चाहेंगे या रविवार को? आप प्रभात शाखा में आना चाहेंगे या सायं शाखा? आप इस पुस्तक का भुगतान नकद करेंगे या क्रेडिट कार्ड से?

इन सभी प्रश्नों में आप सिर्फ हाँ चुनने का अवसर दे रहे हैं। प्रेरित आप तभी कर सकते हैं जब आप सिर्फ हाँ की आशा रखें और स्पष्ट संदेश दें कि आप से सिर्फ हाँ की अपेक्षा की जाती है।

अधिकतर व्यक्ति शुरू में तटस्थ होते है, और दिशा निर्देशित कर उन्हें प्रेरित किया जा सकता हैं।

हर्ष शेखावत

“समस्या का समाधान”

जब हर समस्या का समाधान है, और हर समाधान में समस्या। तो फिर समस्या और समाधान क्या है?

समस्या और समाधान, प्रतिकूल और अनुकूल परिस्तिथि मात्र है।

किसी भी परिस्थिति का अनुकूल या प्रतिकूल होना कुछ बाहरी तो मुख्यरूप स्वरचित कारकों द्वार निर्धारित होता है।

यदि आपका ध्यान समाधान पर केंद्रित है तो आप बाहरी प्रतिकूल कारकों को भी अनुकूल बना लेते हैं, और हर वक्त समस्याओं के लिए चिन्ता ग्रसित रहने पर अनुकूल परिस्तिथि क्षीण तो प्रतिकूल प्रबल हो जाती है।

आपकी सकारात्मक सोच समाधान और नकारात्मक सोच समस्या को न सिर्फ जन्म देती है, अपितु उसके फलने फूलने में भी सहायक होती है। इसलिए हमेशा समाधान का हिस्सा बनें न कि समस्या।

यदि हम सकारत्मक सोच और समाधान केंद्रित आचरण को जीवन का हिस्सा बना ले तो जीवन में कोई समस्या नहीं होगी।

होगा तो सिर्फ समाधान अन्यथा यथावत स्वीकार करने का साहस।

हर्ष शेखावत

” सामर्थ्य बढ़ा मेरे दोस्त “

हर कोई,
उपयोगिता पूछता है,
औकात में रहने को कहता है,
सामर्थ्य बढ़ा मेरे दोस्त,
सामर्थ्य से अधिक कोई नहीं पाता है।

सामर्थ्य क्या है,
तुम्हारा व्यक्तिगत विकास है,
व्यक्ति का विकास अवसर की तलाश में है।
अवसर आवश्यकता, आविष्कार उपयोगिता और स्थान में है।

सामर्थ्य बढ़ा कर हो जा कीमत चुकाने को तैयार।
उपयोगिता बढ़ेगी तो ही कीमत मिलेगी।

सामर्थ्य बढ़ा मेरे दोस्त,
क्योंकि मिलेगा तो सामर्थ्य ही के अनुसार।

स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। वंदेमातरम, भारत माता की जय।

हर्ष शेखावत