“दीर्घसूत्रता”

वक्त ही एक ऐसा है, जो न रुकता है, न घटता है और न बढ़ता है।

जो वक्त के साथ नहीं चलता, कुछ भी करने में आवश्यकता से अधिक वक्त लेता है, वो निश्चित ही अपनी क्षमताओं को घटा रहा है।

यदि आप निर्धारित समय पर काम पूरा नहीं कर रहे हैं, मतलब आप दीर्घसूत्रता के शिकार हो रहे हैं।

कोई भी काम स्वयं को निर्धारित समय के हिसाब से बढ़ा लेता है। मगर ये समय आपके काम के पूर्ण होने का न इंतजार करता है न बढ़ता है।

आवश्यता से अधिक समय लगा कर किए काम को ही दीर्घसूत्रता कहा गया है।

जितना किसी काम का पूरा करना महत्वपूर्ण है, उतना ही महत्वपूर्ण उसका समय सीमा में पूर्ण करना है।

हर्ष शेखावत

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