जब हर समस्या का समाधान है, और हर समाधान में समस्या। तो फिर समस्या और समाधान क्या है?
समस्या और समाधान, प्रतिकूल और अनुकूल परिस्तिथि मात्र है।
किसी भी परिस्थिति का अनुकूल या प्रतिकूल होना कुछ बाहरी तो मुख्यरूप स्वरचित कारकों द्वार निर्धारित होता है।
यदि आपका ध्यान समाधान पर केंद्रित है तो आप बाहरी प्रतिकूल कारकों को भी अनुकूल बना लेते हैं, और हर वक्त समस्याओं के लिए चिन्ता ग्रसित रहने पर अनुकूल परिस्तिथि क्षीण तो प्रतिकूल प्रबल हो जाती है।
आपकी सकारात्मक सोच समाधान और नकारात्मक सोच समस्या को न सिर्फ जन्म देती है, अपितु उसके फलने फूलने में भी सहायक होती है। इसलिए हमेशा समाधान का हिस्सा बनें न कि समस्या।
यदि हम सकारत्मक सोच और समाधान केंद्रित आचरण को जीवन का हिस्सा बना ले तो जीवन में कोई समस्या नहीं होगी।
होगा तो सिर्फ समाधान अन्यथा यथावत स्वीकार करने का साहस।
हर्ष शेखावत
