” सामर्थ्य बढ़ा मेरे दोस्त “

हर कोई,
उपयोगिता पूछता है,
औकात में रहने को कहता है,
सामर्थ्य बढ़ा मेरे दोस्त,
सामर्थ्य से अधिक कोई नहीं पाता है।

सामर्थ्य क्या है,
तुम्हारा व्यक्तिगत विकास है,
व्यक्ति का विकास अवसर की तलाश में है।
अवसर आवश्यकता, आविष्कार उपयोगिता और स्थान में है।

सामर्थ्य बढ़ा कर हो जा कीमत चुकाने को तैयार।
उपयोगिता बढ़ेगी तो ही कीमत मिलेगी।

सामर्थ्य बढ़ा मेरे दोस्त,
क्योंकि मिलेगा तो सामर्थ्य ही के अनुसार।

स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। वंदेमातरम, भारत माता की जय।

हर्ष शेखावत

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